देहरादून। भावी चुनाव में मतदाताओं की जनप्रतिनिधियों से अपेक्षा और जनसमस्याएं विषय पर संयुक्त नागरिक संगठन द्वारा किए गए संवाद में जागरूक दूनवासियो ने जनहितों की उपेक्षा को लेकर गहरा रोष व्यक्त किया है।

बैंक एम्पलाइज यूनियन के पूर्व अध्यक्ष जगमोहन मेहंदीरत्ता का कहना है कि दून को डस्टबिन फ्री करने की योजना के कारण गलियों, सड़कों में जगह-जगह कूड़े के देर लगते हैं, इनमे आग लगने से स्वास्थ्य को गंभीर खतरा है। नेताओं और अधिकारियों ने आंखें बंद कर रखी हैं जिनको खोला जाना जरूरी है।

समाज सेवी जसवीर सिंह रिनोत्रा का कहना था कि पानी, बिजली, कूड़ा निस्तारण आदि समस्याओं के निराकरण विषय पर प्रत्याशियों से लिखित आश्वासन लिया जाना चाहिए क्योंकि चुनाव जीतने के बाद इन पर अहंकार का भूत चिपक जाता है।

गवर्नमेंट पेंशनर संगठन के चौधरी ओमवीर सिंह के अनुसार उत्तराखंड में हिमाचल प्रदेश की भांति सख्त भू कानून लागू कर राज्य की संस्कृति और प्रकृति बचाने के प्रति समर्पित उम्मीदवार को प्रोत्साहित करना ठीक है।

हिमालय बचाओ अभियान के समीर रतूडी ने पहाड़ में पर्यावरण और प्रकृति के साथ खिलवाड़ बंद करने की मांग की। सुशील सैनी के अनुसार भ्रष्टाचार रूपी दानव के खिलाफ मैदान में उतरने वाले प्रत्याशी ही समर्थन के असली हकदार हैं।

इको ग्रुप के आशीष गर्ग के अनुसार भूमाफियाओ पर नकेल डालकर दून में उगते कंक्रीट के जंगलों से खतरे को देखते हुए दून कि शेष बची हरियाली को बचाया जाना जरूरी है। उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच के जगमोहन सिंह नेगी का विचार था कि राज्य की मूलभूत समस्या शिक्षा और स्वास्थ्य विषय को माफियाओं के चंगुल से मुक्त कराया जाना जरूरी है।

आरडब्ल्यूए के दिनेश भंडारी के अनुसार जो प्रत्याशी वृक्षारोपण को युद्ध स्तर पर संपन्न करने में आगे आए और पहाड़ी जनपदों के अस्पतालों में दयनीय चिकित्सा सुविधाओं को ठीक करा सके वही वोट का हकदार है।

सिख वेलफेयर सोसाइटी के गजेंद्र सिंह जस्सल प्रदूषण का मुख्य कारण बने सिंगलयूज प्लास्टिक की फैक्ट्रीयो को बंद करने पर जोर दिया। पेंशनर महेंद्र सिंह तोमर ने सांसद विधायक निधि का दुरुपयोग रोकने राज्य को खनन माफियाओं से मुक्त करने की मांग की।

समाजसेवी आशा टम्टा ने रिवर्स पलायन पर ठोस योजना बनाने और पुरानी पेंशन बहाली पर जोर दिया। पेरेंट्स एसोसिएशन के आरिफ खान का कहना था प्राइवेट स्कूलों के शिक्षा माफियाओं पर लगाम लगाने को आज तक सरकार और शासन द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

शिकायतों पर अधिकारी जांच के नाम पर केवल नोटिस तक सीमित है। शिक्षा नियामक आयोग फीस एक्ट को लागू करे। आरटीआई क्लब के अमर सिंह धुनता ने बिजली उपभोक्ताओं से एडिशनल सिक्योरिटी जमा करने के नाम पर की जा रही लूट पर रोक लगाने की मांग की। उनके अनुसार पूर्व में जमा उपभोक्ताओं की सिक्योरिटी पर बैंकों से मिलने वाले ब्याज की राशि का उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन द्वारा दुरुपयोग किया गया है जिस पर रोक लगाई जाए।

आर डब्ल्यू ए केवल बिहार के सुनील गुप्ता का भी यही कथन था। पेंशनर संगठन के प्रवीन खंतवाल के अनुसार रोजगार की सुरक्षा पहला लक्ष्य होना चाहिए। संयुक्त नागरिक संगठन के प्रदीप कुकरेती का कहना था कि लोकायुक्त गठन के इंतजार में आंखें पथरा गई है, सशक्त भू कानून रद्दी की टोकरी में धूल फांक रहा है। क्षेत्रफल के हिसाब से भावी परिसीमन से भावी विधानसभा चुनाव में पहाड़ की सीटें कम हो जाएंगी। इस प्रयास को रोका जाना जरूरी है अन्यथा समान रूप से विकास की उम्मीदें खत्म हो जाएंगी।

संगठन के सचिव सुशील त्यागी का कहना था की जन अपेक्षाओं पर खरा ना उतरने वाले जन प्रतिनिधियों को पुनः साधारण नागरिक बनाने हेतु वोट टू रिकाल का अधिकार मतदाताओं को दिया जाना जरूरी है। उनके अनुसार भावी प्रत्याशी ईमानदार, चरित्रवान, विनम्र व देशभक्त होना जरूरी है। हमें बेईमान निकम्मे, अहंकारयुक्त प्रत्याशियों की जरूरत नहीं है।