देहरादून। उत्तराखंड राज्य आंदोलन में बढ़-चढ़कर अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाली वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी, उत्तराखंड की बेटी, प्रसिद्ध समाजसेवी एवँ जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केंद्रीय अध्यक्ष भावना पांडे किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। अपने मृदुभाषी स्वभाव एवँ समाजसेवा से जुड़े कार्यों के ज़रिए उन्होंने समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

यदि भावना पांडे के जनसेवी स्वभाव की ही बात करें तो वे हमेशा ही जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए तत्पर रहती हैं। वे सदैव उत्तराखंड के हित की बात करती आईं हैं। उत्तराखंड की आंदोलनकारी बेटी भावना पांडेय ने बढ़-चढ़कर प्रदेश के बेरोजगार युवाओं और महिलाओं के लिए संघर्ष किया है।

यही नहीं राज्य के बेरोजगार युवाओं और महिलाओं के हित के लिए उन्होंने राजनीतिक दल जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) का भी गठन किया है। उत्तराखंड में हुए विधानसभा चुनाव से पूर्व जनसेवी भावना पांडे ने कईं बेरोजगार युवाओं एवँ महिलाओं के संगठनों के आंदोलनों को अपना भरपूर समर्थन दिया। इन संगठनों में आशा कार्यकत्रियां, आंगनबाड़ी महिलाएं, पाटनदाइयां, बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्ट, पीआरडी जवान, सहायक लेखाकार, दंत चिकित्सक एवँ प्रेरक शिक्षक आदि तमाम युवा संगठन शामिल रहे।

बताते चलें कि समाजसेवी भावना पांडे ने इन आंदोलनों को अपना समर्थन देने के साथ ही अपने खर्च पर बेरोजगार युवाओं के धरने व प्रदर्शन को महीनों तक जारी रखने में सहयोग प्रदान किया। यही नहीं उत्तराखंड के कोने-कोने से आये बेरोजगार आंदोलनकारी युवाओं व महिलाओं के चाय-नाश्ते से लेकर उनके रहने व खाने तक की व्यवस्था का खर्च उन्होंने स्वयं वहन किया।

पहाड़ की बेटी भावना पांडे एक गरीब परिवार से निकलकर आगे आईं और पृथक उत्तराखंड राज्य के लिए किये जा रहे आंदोलन में शामिल हुईं। इसके साथ ही कड़ी मशक्कत व मेहनत के बूते वे आज कामयाबी की बुलंदियों पर पहुंची हैं। उनका मानना है कि जो दर्द उनके हिस्से आया है उस तकलीफ़ से किसी को न गुज़रना पड़े इसलिए वे दिल खोलकर, निस्वार्थ भाव से समाजसेवा के कार्यों को करतीं हैं।

जेसीपी मुखिया भावना पांडे फ़िलहाल पार्टी पॉलिटिक्स से हटकर जनसेवा के कार्यों में अधिक समय दे रहीं हैं और उत्तराखंड के बेरोजगार युवाओं के हित की बात कर रहीं हैं। उन्होंने राज्य के युवाओं और महिलाओं के हित की सरकार से भी अपेक्षा की है।

समाजसेवी भावना पांडे का कहना है कि उन्हें किसी चीज की कोई कमी नहीं है, ईश्वर का दिया उनके पास बहुत कुछ है और वे भी घर बैठकर आराम कर सकती हैं। फिर भी वे उत्तराखंड के हित के लिए एवँ राज्य के बेरोजगार युवाओं व महिलाओं के लिए संघर्ष में जुटी नज़र आती हैं। उनका कहना है कि जब तक वे जीवित हैं, आखिरी सांस तक राज्य के हित की बात करतीं रहेंगी और उत्तराखंड के बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवाज़ उठातीं रहेंगी।