देहरादून। जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केंद्रीय अध्यक्ष एवँ राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे पिछले काफी समय से उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में धरना दे रहे बेरोजगार युवाओं और महिलाओं के आंदोलनों को समर्थन देती आईं हैं। इसी क्रम में अब वे दंत चिकित्सकों के धरने को समर्थन देने पहुंचीं।

इस दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि वे पिछले काफी दिनों से राज्य में बेरोजगार युवाओं व महिलाओं द्वारा दिये जा रहे धरने-प्रदर्शनों को समर्थन दे रही हैं। उन्होंने बड़ा प्रश्न उठाते हुए कहा कि आखिर सरकार ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न ही क्यों होने देती है कि किसी को आंदोलन करने की जरूरत पड़े।

20211102_153923

भावना पांडे ने इस दौरान दंत चिकित्सकों की समस्याओं को उठाते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कोरोना काल के दौरान दंत चिकित्सकों से पूरी सेवाएं ली गईं। बावजूद इसके उन्हें चार-पांच महीने तक कोई तनख्वाह नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि इस दौरान विभागीय अधिकारियों द्वारा इन्हें 28 फरवरी तक सेवाएं देने को कहा गया था, जबकि अगस्त माह में ही इनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं।

भावना पांडे ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कितने दुर्भाग्य की बात है कि कोविड काल के दौरान जब सभी लोग अपने घरों में कैद थे, जिन चिकित्सकों ने अपनी जान पर खेलकर सेवाएं दीं उन्हें कोरोना वारियर्स का सम्मान देने के बजाय नौकरी से ही निकाल दिया जाता है। उन्होंने कहा कि कोविड काल के दौरान दंत चिकित्सकों की कोई विशेष आवश्यकता न होने के बावजूद इन्हें बुलाकर विभाग द्वारा अन्य स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं ली गईं।

उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि जिस प्रकार से पूर्व में कुछ युवाओं को उपनल के माध्यम से नियुक्ति दी गई थी, उसी प्रकार आंदोलन कर रहे इन दंत चिकित्सकों की सेवाएँ भी बहाल की जाएं। उन्होंने कहा कि भगवान न करें यदि कोरोना जैसी कोई और लहर आ गई तो इन युवाओं का मनोबल टूट जाएगा। फिर भला ऐसे में ये कैसे कार्य कर पाएंगे।

भावना पांडे ने दंत चिकित्सकों की पीड़ा को बयां करते हुए कहा कि उत्तराखंड सरकार ने वर्ष 2016 के बाद से दंत चिकित्सकों के लिए किसी भी प्रकार की कोई रिक्तियां नहीं निकाली हैं, जिस वजह से इन युवाओं के भीतर निराशा छाई हुई है। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार शीघ्र अति शीघ्र दंत चिकित्सकों के लिए रिक्तियां निकाले और आंदोलन कर रहे दंत चिकित्सकों को सम्मान के तौर पर इनकी नौकरियां वापिस दी जाएं।